TITHI


Thursday, July 6, 2017

देशभक्ति

लगता है भारत  में देशभक्ति सो गयी है और अब कभी कभार ही जागती है चीन की धमकियों के बावजूद भारत में  चायनीस  फ़ोन की धड़ाधड़ बिक्री हो रही है.
हमें देशभक्ति के लिए जापान और इजराइल से सबक लेना  चाहिए ये दोनों देश किसी और देश की मदद के बिना  लगभग हर चीज़ पे आत्मनिर्भर हैं. दोनों ही देश  भारत के  कुछ  राज्यों से छोटे  हैं परन्तु  इनकी देशभक्ति की मिसालें  दी जाती हैं  क्योंकि  यहाँ  के लोग  अपने शत्रुओं  को कभी माफ नहीं करते।  और एक हम हैं की  सस्ते   चक्कर  में  देश को ही दावं पे लगा रहे हैं.

मेरा सभी देश भक्त भाईओं से आव्हान  है की स्वदेशी सामान खरीदें  और सभी उद्योगपतियों से भी निवेदन है की  भारत में ही सस्ती और अच्छे उत्पाद बनायें।
अगर हमे  चायनीस  सामान का बहिस्ज्कार कर दिया तो चीन की कमर टूट जाएगी 

चीन की धमकी

साथियों आखिरकार  वही हुआ जिसका  डर  था  चीन ने  हमें अपनी औकात दिखा ही दी  और  इसके जिम्मेदार भी हम ही हैं  क्योंकि  हमारे  ही द्वारा 
ख़रीदे  गए  चीनी सामान से कमाकर  चाइना हमें आँखें  दिखा रहा है. चीन को पता है की इसके बावजूद  मुर्ख  भारतीय लोग  सस्ता  चीनी सामान खरीदते 
रहेंगे और हम उन्हें धमकाते  रहेंगे।

एक  जमाना  था जब गांधीजी  के आव्हान पर  लोगों ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाई थी पर अब तो  साक्षात्  भगवान भी  आकर  कहदें  तो भी शायद  लालची  और देशद्रोही   भारतीय  लोग  चीनी सामान का बहिष्कार नहीं करेंगे

अब वक़्त आ गया है की हम चाइना को उसकी औकात दिखा दें , छोटी छोटी  बातों पे भारत बंद करने की  बजाय चीन के खिलाफ  सड़कों पे उतरने का वक़्त 
आ गया है।  आरक्षण  GST  का विरोध  करने  बजाय देशभक्ति  यही एक  मौका है.\

मेरा भारतीय उद्योगपतियों से भी आव्हान है की देश में ही सस्ते और अच्छे  उत्पाद  बनायें  और चीन पर निर्भरता  बंद करें 

Sunday, September 25, 2016

रिलायंस जिओ और बीएसएनएल

 पूरे देश में रिलायंस जिओ की धूम मची हुई है हर कोई  जिओ की सिम लेने को बेताब है। सन २०१२ में  मुकेश अम्बानी ने इंफोटेल  नाम की कंपनी खरीदी थी और आज 4  साल बाद  मार्केट में रिलायंस जिओ 4G लांच  हो चुका है।  परंतु  बीएसएनएल ने आजतक   4G तो दूर 3G  का भी का  भी  विस्तार नहीं किया है। यह एक  विचारणिय प्रश्न  है कि  इन ४ सालों में  शुन्य  से शुरु करके रिलायंस जिओ  ने पुरे देश में  4G का जाल  बिछा दिया और बीएसएनएल  के पास   पुरे देश में  ऑप्टिकल फाइबर और  मोबाइल टावर  का जाल  हुए  भी  4G  तो दूर  3G  भी  सभी जगह नहीं पहुंचा है। और आज भी रिलायंस जिओ से मुकाबले  लिए  बीएसएनएल  सिर्फ  सस्ते  ब्रॉडबैंड के प्लान पेश कर रहा है  परंतु  3G  और 4G के लिए कोई प्लान  नहीं है.

अगर बीएसएनएल  3G  और 4G  जाल फैला देता तो क्या आज रिलायंस जिओ  पनप  पाता क्या जान बूझकर बीएसएनएल  का विकास रोक जा रहा है ताकि प्राइवेट  कंपनिया  पनप  सके।

क्या आज के दौर मैं  यह संभव है की ग्राहकों  की लाइन लगी हो और दुकानदार  के पास माल नहीं हो  बीएसएनएल की यही  स्थिति है.

Friday, March 11, 2016

विजय माल्या का पलायन

विजय माल्या देश छोड़ चुके  हैं और फिर एक बार सत्ता पक्ष और विपक्ष में घमासान  मची हुई है  कांग्रेस ने विजय माल्या को 9000 करोड़ का गबन करने दिया और मोदी सरकार ने उसे भागने दिया  माल्या तो इंग्लैंड में मजे कर रहे हैं और भुगत किंगफ़िशर के कर्मचारी  रहे हैं जिनका आजतक बकाया वेतन नहीं दिया गया।  सवाल ये है की दोषी कौन है माल्या या हमारी नीतियाँ जो उद्योगपतियों का समर्थन करती हैं।  आम जनता की  खून पसीने की गाढ़ी कमाई से उद्योगपति और नेता लोग मजे कर रहे हैं   इतने सालों से विजय माल्या  के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई जबकि सहारा  के मालिक  उससे कम  जुर्म में जेल में बंद हैं।

मतलब की  हाथी निकल जाये पर सुई नहीं निकले।  इसलिए आवश्कयता है की  किसी भी तरह के गबन रोकने के लिए सख्त कानून बनाये जाएँ  और आम जनता की खून पसीने की गाढ़ी कमाई को लूटने से बचाया जाये। 

Tuesday, February 2, 2016

पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण

प्रायः यह देखा जा रहा है कि हमलोग  पाश्चात्य पहनावा पहनने को अपनी शान समझते हैं लेकिन हमें  ये भी नहीं पता की हम टाई  क्यूँ पहनते  हैं।
यदि आप को ज्ञात हो तो , पश्चिमी देशो में सर्दी अधिक होने के कारण वहां टाई पहनने का प्रचलन है | यदि टाई गले तक सटाकर बंद की हो, तो ठंडी हवा गले तक नहीं पहुँच पाती| संक्षेप में, टाई पहनने का उदेश्य ठण्ड से बचाव है | परन्तु भारत में ये टाई आजकल “status symbol ” बन गयी है | उस वेशभूषा का क्या लाभ , जिसमे आप स्वयं को सहज ही महसूस ना कर रहे हो |

स्कूलों  में  बिना सोचे  समझे कोट  और टाई  पहनाई जाती है  और शायद ही किसी को पता हो की टाई क्यों पहनी जा रही है।
विदेशी लोग तो भारत आकर भारतीय   कर  कर खुश होते हैं  और हम  विदेशी  वस्त्र  पहनकर .  आवयश्कता है की हम स्वामी विवेकानंद ,दयानंद सरस्वती  और महात्मा गांधी  की तरह भारतीय  होने का गर्व महसूस करें 

Monday, February 1, 2016

स्वदेशी बनाम चीनी



आजकल  प्रायः  देखा जा रहा है की  चीनी  सामान बहुत  धड़ल्ले  से ख़रीदा  जा रहा विशेषतः  इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद जैसे की  मोबाइल , पॉवरबैंक ,LED लाइट्स ,खिलोने  इत्यादि  प्रायः  सभी  उत्पाद बहुत सस्ते  हैं  परन्तु ये भारत  की  अर्थव्यस्था  को तबाह कर रहे हैं  चीन  इन्हीं की वजह से अरबों खरबों  की मुद्रा  कमा  रहा है  और उसी धन से अपनी सेना को मजबूत कर है और भारत के खिलाफ साजिश कर रहा है।  अक्साई चिन में चीन पहले से ही भारत की 38 हज़ार वर्ग कि.मी. भूमि पर कब्जा किये हुए है और पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से हड़पे गए कश्मीर से भी 5180 वर्ग कि.मी. भूमि वह 'उपहार में' ले चुका है।

इसलिए हमें चाहिए  की हम  चीनी उत्पादों का बहिष्कार  करें  विशेषकर  मोबाइल  के  बाजार में चीनी  उत्पाद  छाए  हुए हैं  परन्तु  अधिकतर लोगों  को  ये  नहीं  पता  की  कौनसे ब्रांड चीनी  हैं  और  कौन से भारतीय, आवयश्कता है की  हम भारतीय या  भारत के  उत्पाद खरीदें   में उन  ब्रांड  की  लिस्ट  दे  रहा  हूँ जो की चीनी   हैं। 

हुवेई

जिओनी

वन  प्लस

शिओमी

लेनोवो

कूलपेड

मोटोरोला

फिकोम

प्रायः  इन सभी ब्रांड में  कम  दाम  में अच्छे फीचर  मिलते हैं  इसलिए लोग इनसे आकर्षित  होते हैं  परन्तु  देश हित   हमें  भारतीय ब्रांड खरीदने  चाहियें की

माइक्रो मेक्स

लावा

कार्बोन

स्पाइस

जोलो  या   सैमसंग

मेरी भारतीय   कम्पनियों  से आग्रह   वो भी  कम  दाम  में अच्छे  बनायें  और भारत की  अर्थव्यस्था   मजबूत  करें। 

Wednesday, January 27, 2016

अंग्रेजियत का मोह

आप  भारत में किसी  शौपिंग मॉल में चले जाएँ  आपको वहां जाकर लगेगा कि आप किसी यूरोपियन  देश में  हैं क्योंकि  सारे स्टोर्स के नाम  अंग्रेजी में मिलेंगे  जैसेकि wills , peter  england ,ven heusan ,arrow ,UCB इत्यादि   ये सभी नाम  विदेशी  हैं और कुछ नाम अगर स्वदेशी हैं तो वो भी अंग्रेजी में ही लिखे हुए मिलेंगे
क्या हमें हिंदी में लिखने में शर्म आती है. भारत में  फिल्में हिंदी  हैं पर  पोस्टर पर नाम अंग्रेजी में  लिखा जाता है।  सारे पुरस्कार  समारोह में अंग्रेजी बोली जाती है
आज की तारीख  में सिर्फ नरेंद्र मोदी और कुछ ही लोग  ही हिंदी बोलते हैं.  क्या भारत में ग़ुलामी की जड़ें इतनी मजबूत हो गयी हैं की हम अपनी राष्ट्रभाषा भूलते जा रहें हैं. हम अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम  के स्कूलों  में पढने में  गर्व महसूस करते हैं.  क्या आपको पता है  की विश्व के जीतें भी विकसित देश हैं जैसे  जर्मनी ,जापान ,फ्रांस ,रूस  वहां  मेडिकल  और इंजीनियरिंग  उनकी मातृभाषा  में पढाई जाती है.अगर अंग्रेजी  पढ़ने से ही विकास होता तो ये सारे देश विकसित नहीं होते।
अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुए विश्व के किसी देश ने भी अंग्रेजी को नहीं अपनाया । भारत को छोड़ हर मुल्क की आज अपनी भाषा है। इसी कारण विदेश दौरे पर गये भारतीय प्रतिनिधि द्वारा अपना संबोधन अंग्रेजी में देते ही यह सुनना पड़ा कि क्या भारत की अपनी कोई भाषा नहीं ? इस अपमान के बावजूद भी हम आज तक नहीं चेत पाये। कितना अच्छा सभी भारतवासियों को लगा था जब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी विश्व मंच पर अपना वकतव्य हिन्दी में दिये थे । आज जब अपने ही घर में हिन्दी अपने ही लोगों द्वारा उपेक्षित होती है, तो स्वाभिमान को कितना ठेस पहुंचता होगा, सहज अनुमान लगाया जा सकता। काश यह अनुमान उन देशवासियों को होता जो इस देश में जन्म लेकर विदेशी भाषा अंग्रेजी को अहमियत देते है।