विजय माल्या देश छोड़ चुके हैं और फिर एक बार सत्ता पक्ष और विपक्ष में घमासान मची हुई है कांग्रेस ने विजय माल्या को 9000 करोड़ का गबन करने दिया और मोदी सरकार ने उसे भागने दिया माल्या तो इंग्लैंड में मजे कर रहे हैं और भुगत किंगफ़िशर के कर्मचारी रहे हैं जिनका आजतक बकाया वेतन नहीं दिया गया। सवाल ये है की दोषी कौन है माल्या या हमारी नीतियाँ जो उद्योगपतियों का समर्थन करती हैं। आम जनता की खून पसीने की गाढ़ी कमाई से उद्योगपति और नेता लोग मजे कर रहे हैं इतने सालों से विजय माल्या के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई जबकि सहारा के मालिक उससे कम जुर्म में जेल में बंद हैं।
मतलब की हाथी निकल जाये पर सुई नहीं निकले। इसलिए आवश्कयता है की किसी भी तरह के गबन रोकने के लिए सख्त कानून बनाये जाएँ और आम जनता की खून पसीने की गाढ़ी कमाई को लूटने से बचाया जाये।
मतलब की हाथी निकल जाये पर सुई नहीं निकले। इसलिए आवश्कयता है की किसी भी तरह के गबन रोकने के लिए सख्त कानून बनाये जाएँ और आम जनता की खून पसीने की गाढ़ी कमाई को लूटने से बचाया जाये।
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